बोलने में मर्यादा मत छोड़ना, गालियाँ देना तो कायरों का काम है।
लोग मेरे को पागल कहते है,मगर इस प्रश्न का अभी जवाब नहीं मिला है , कि क्या पागलपन सबसे ऊंची विद्व्ता नहीं होती है।
दुनिया में बहुत रीति-रिवाज परंपरागत मूर्खताओं से भरे पड़े है।
हम लोग शब्दों की संसार में रहते है। जिसे हम ब्लॉग ख़ामोशी कहते है,और वह सबसे अंतिम शब्द है।
एक कविता के लिए “उदासी ” सबसे बढ़िया टोन होती है।
मेरे को मूर्खों पर बहुत ही भरोसा है। और मेरे मित्र इसे सेल्फ-कॉन्फिडेंस कहते है।
मेरे को लोगो की सम्पूर्णता पर भरोसा नहीं है।
जैसे -जैसे समय बीतता जायेगा लोग जागरूक तो हो जायँगे , लेकिन खुश नहीं ।
उस पर कोई शक नहीं करता ,जो सच्चे उत्साह में बोलने की शक्ति रखता है ।
दुनिया का सबसे पवित्र काम साहित्यिक का काम है।
यदि आप किसी भी बात को तुरंत ही भूलना चाहते है ,तो मान लो वह बात आपको हमेशा याद रहेगी ।
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