बोलने में मर्यादा मत छोड़ना, गालियाँ देना तो कायरों का काम है।
संतों को पापियों की जरुरत होती है ।
धर्म जीवन का विभाग नहीं है, यह हमारे जीवन मे पूरी तरह से प्रवेश करती है।
हम नाटक करने की कोशिश करते है , जब ये देखते हैं, दुनिया के लोग से पूरी तरह हमसे स्वतंत्र रूप से मौजूद रहने का प्रयास करते है ।
आधुनिक दुनिया में हम में से ज्यादातर के लिए मुश्किल यह है कि भगवान ने जो बनाया है वह अब पुराने ढंग का या अकल्पनीय समझने लगे है।
बर्तमान मे हम जो जी रहे है, उसके अनुसार भविष्य के लिए कोई योजना नही बना सकते है , क्योंकि भविष्य मे क्या होगा किसी को भी नही पता होता है ।
अहंकार ध्यान के सामने कुछ भी नही है ।
मनुष्य को ही सबकुछ भुगतना पड़ता है क्योंकि मनुष्य इस बात को गंभीरता से लेता है कि भगवान को मनोरंजन के लिए बनाया जाता है।
खुद को परिभाषित करने की कोशिश करने का मतलब स्वयं के दांत काटने की कोशिश करने की तरह है।
जब आप एक छेद के माध्यम से ब्रह्मांड में कुछ तलाशते हैं, तो आप ब्रह्मांड मे नही बाल्कि खुद को तलाश रहे होते हैं।
भ्रम बिल्कुल चित्र की तरह होता है ,जिनमें से हमसब दुनिया की भावना बनाने की कोशिश में एक छवि है।
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